About Us

Sir Syed Montessori School

Sir Syed Montessori School was founded in 1983 by Alhaj Mohd. Afzal Khan with a humble beginning in a small building at Pul Kambohan, Saharanpur. The school has shifted to its present location in 1985. The school was upgraded upto VIII Class in 1987 and then secured recognisation from U.P. Board Paryagraj upto XII standard as Sir Syed Memorial Inter College. Now college has four storied building in about 2350 sq. yard ground under the supervision of Alhaj Hakeem Sayeed Ahmad Khan Memorial Educational Trust(Regd.) & Managed by Sir Syed Educational Society (Regd.)Saharanpur. The college does not find any subsidiary from central Government or State Government.

Our Mission

Our mission is to nurture students by instilling the rich values of Indian culture and tradition while providing a robust academic foundation. We strive to cultivate disciplined individuals with strong character, high principles, and a sense of service and fairness. By fostering a spirit of unity and comradeship, we aim to eliminate social, communal, and provincial biases, shaping well-rounded individuals who are committed to the service of society and the nation.

Our Vision

Our vision is to be an institution that molds individuals into responsible citizens with a tolerant, balanced, and independent mindset. We aspire to empower our students to excel academically while fostering a deep sense of patriotism, unity, and social responsibility. We aim to create a community of learners who are equipped to make meaningful contributions to their country and the world with compassion and integrity.

प्रबन्धक की कलम से

इलम की शम्मा कभी बुझती नहीं

यह कोल बिल्कुल सही है मगर कोविड-19 माह अप्रैल 2020 में इण्डिया में आया जिसकी वजह से तालीमी इदारे बन्द हो गये और सभी कारोबार ठप हो गये। यहाँ तक आदमी को आदमी से दूरी बनाने के भी आदेश शासन प्रशासन से जारी हुये और तालीम का स्तर भी गिर गया जिससे इतना बड़ा नुकसान हुआ कि इसका पता आठ या दस साल बाद सामने आयेगा जब यह बच्चे अपने रोज़गार के लिए किसी प्राइवेट कम्पनी या सरकारी ओहदे के लिए इंटरव्यू देंगे और कोविड-19 पीरियड को देखकर इन्हें एम्पलायर नकारेंगे। उस समय वही बच्चे कामयाब हो पायेंगे जिन्होंने घर पर रहकर Online तालीम हासिल की और लगातार मेहनत करते रहे, ये हालात मजबूरी के थे। अगर घर पर रहकर या प्राइवेट एग्ज़ाम देकर कामयाबी मिल सकती तो इतने बड़े-बड़े कॉलेज या यूनिवर्सिटीज की जरूरत ही नहीं होती। जिन स्कूल / कॉलेजों ने इस परेशानी की घड़ी में अपने तालिब इल्मों को संभाला उनमें सर सैयद इण्टरनेशनल स्कूल व सर सैयद मैमोरियल इण्टर कालेज भी अपना एक मुकाम रखते है। अलबत्ता कोविड-19 की वजह से स्कूल की मैगज़ीन दरीचा-ए-सर सैयद दो साल तक मंज़रे आम पर नहीं आ सकी जिसका नुकसान तो जरूर हुआ है। सर सैयद मैमोरियल इण्टर कॉलेज को गुज़िश्ता साल सभी स्ट्रीम आर्ट्स, कॉमर्स एवं साईस व कम्प्यूटर साइंस में 10+2 यू.पी. बोर्ड प्रयागराज से मान्यता मिल चुकी है और यह बात भी काबिले ज़िक्र है कि सर सैयद मैमोरियल इण्टर कॉलेज का हाई स्कूल बोर्ड का रिज़ल्ट निरंतर 14 वर्ष से सदफीसद (100%) फर्स्ट डिविजन एवं मयारी नम्बरान के साथ रहा है तथा इण्टरमीडिएट का भी गुज़िशता साल बोर्ड का रिजल्ट 100% रहा है। इसमें कोई शक नहीं इंसान व जानवर में अगर फर्क पैदा करता है तो वह तालीम ही है। इल्म को दो भागों में नहीं बांटा जा सकता। इल्म की वजह से इंसान अशरफुल मकलूखात बना । इल्म के बगैर इंसान की शख्सियत बे मायना होती है । इस्लाम ने कभी भी इल्म को दो भागों में नहीं बांटा जैसे दीनी व असरी (दुनियावी) इल्म । अक्सर लोग असरी इल्म को नकारते हैं और दीनी इल्म को अव्वलियत देते हैं लेकिन अब आलिम लोग भी दीनी इल्म के साथ-साथ असरी इल्म को भी इंसान की ज़िन्दगी के लिए जरूरी बता रहे हैं। हजरत मौहम्मद सल्लल्लाहु आलेहि वसल्लम का कौल है कि “इल्म हासिल करो चाहे तुम्हें इसके लिए चीन ही क्यों न जाना पड़े” इसका मतलब भी यही है कि वह दीनी तालीम के साथ-साथ दुनियावी तालीम को भी अहमियत देते थे। दुनियावी इल्म हासिल करने से इंसान इंजीनियर, डॉक्टर जदीद टेक्नोलॉजी व सांईस की जानकारी हासिल होती है। जुबान (Language) कोई भी हो उसको हासिल करना इंसान के मफाद में है जिससे उसकी आंखे व दिमाग खुलता है और वह किसी भी सूरत से निपटने में कामयाब रहता है। सर सैयद स्कूल में तालीम हासिल करने वाले बच्चों को भी पूरी तरह दीनी व दुनियावी तालीम से अरास्ता किया जाता है और यहाँ से फारिग होने वाले बच्चे बहुत कामयाब हो रहे हैं और अपने देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी अपना लोहा मनवा रहे हैं। इसलिए सरपरस्तान अपने बच्चों को विद्यालय में दाखिल करने से पहले यह अच्छी तरह समझ व जान लें कि मुझे अपने बच्चों को किस स्कूल के हाथों में देना है और उसका मुस्तकबिल कहाँ महफूज़ है।

(हाजी मौ० अफज़ल खाँ)
फाउण्डर/मैनेजर

From Controller Desk

To Those who have managed past reading this line, Assalamu Alaikum and congratulations, for in this changing landscape you have managed to keep alive the forgotten art of reading. It is due to these challenging endeavors by you, all forms of print media exist and might even survive in this evolving nature.
Studies have shown that ever since the mass production and distribution of cheap cell phones, the access to the internet has increased throughout the age groups vertically. Children even as young as 5-6 years age group has access to the smart phones, toddlers are given these phones by their parents as a starting point to divert their attention and later on in their teens it becomes their wish to buy an expensive phone which has features beyond their comprehension.
The content creation has increased exponentially and the OTT (Over the top) Platforms such as YouTube, Instagram, Pinterest etc., has given the access to these children to create content bringing the gap between the creator and consumer very low. As a result of the change in the length of these content the attention span of the human mind has reduced as well. From watching movies 4 hours long during the eighties and nineties to browsing through videos 5-6 seconds long created on short video platform. This is an indication of reduction in the patience level which gives rise to mental and psychological issues such as irritation, anxiety, shortening of attention span, reduced interest in studies by kids, preferring videos instead of reading or engaging activities. These issues are not unknown to the practitioners in the medical field. The Covid pandemic accelerated the use of Media platforms by institutions to impart education, which was the positive step forward in this direction. In our institution too, zoom meetings and WhatsApp was widely used to conduct classes and monitor the progress of the students throughout the pandemic. As the famous saying goes

“Every cloud has a silver lining”.

This was the silver lining in social media usage which prevented the students from forgetting the basics and fundamentals of education in the primary classes such as recognition skills, basic mathematical calculations, reading, writing etc. In ASER report (Annual survey of education) published by NGO Pratham Organization, mentions that About 25% of the youth cannot read a Class II level text fluently in their regional language and Over half struggle with division problems (3-digit by 1-digit), with only 43.3% of 14-18- year-olds able to solve such problems correctly. Inadequate foundational numeracy skills hinder youth proficiency in everyday calculations, including budget management, applying discounts, and calculating interest rates or loan repayment. Therefore, efforts are needed to bridge the gap in foundational literacy and numeracy skills, with a focus on initiatives for the 14-18 age group.
We, the institution and the parents together have to work to bring the benefits of the digital media to their support by keeping an eye on their routine at home and prevent the children from their harmful effects.

(Mrs. Anjum Afzal)
    Controller

ناظم تعلیمات کی قلم سے بچے کے داخلے میں اسکول کا معیار اور اس کا تعین

مختلف اسکولوں میں پڑھنے والے بچوں سے اُس اسکول کے تعلیم کا معیار کا پتہ لگایا جا سکتا ہے کہ کونسا اسکول یہ ذمہ داری صحیح طور پر نبھا رہا ہے۔ اردو ہندی اور انگریزی کا پڑھنا اگر درست و صحیح ہو گیا ہے۔ کیا ان کا لکھنا بھی صحیح ہو گیا ہے۔ ۸ ویں کلاس تک طلباء کے پڑھنے و تلفظ کے ادا کرانے کی ذمہ داری اس اسکول کی ہے جہاں ابتداء میں بچے کا داخلے ہوا تھا۔ درجہ ۸ تک ایک عام آدمی بچے کی معیاری تعلیم کا آسانی سے پتہ نہیں لگا سکتا مگر جب بچہ ہائی اسکول بورڈ کا رزلٹ دیتا ہے تو وہ بورڈ ہماری زیادہ رہنمائی کرتے ہیں ۔ ہم اس اسکول کی تعلیمی معیار کا پتہ لگا لیتے ہیں۔ داخلہ کرانے کے لئے والدین زیادہ سوجھ بوجھ رکھتے ہیں لیکن پھر بھی آج کے دور میں تعلیم سے وابستہ لوگوں سے مشورہ کر لینا چاہئے کہ کون سے اسکول کا معیار کیسا ہے۔ ویسے آپکا یہ سرسید اسکول گذشته ۱۴ سالوں سے ہائی اسکول بورڈ کا رزلٹ لگا تارصد فیصد دے رہا ہے۔ گذشتہ سال سے سرسید اسکول سبھی اسٹریم آرٹس، کامرس، سائنس کمپیوٹر کے ساتھ انٹرمیڈئٹ ہو گیا ہے۔ اور انٹر میڈیت بورڈ ایگزام کا رزلٹ بھی گذشتہ سال %100 رہا ہے۔ پھر بھی سرسید میوریل انٹر کالج شہر کے اسکولوں میں جہاں مقابلے جاتی پروگرام ہوتے ہیں میں حصہ داری کرتا ہے۔ آج کا دور مقابلہ کرنے میں شریک کرنے و مقابلہ کرنے کا دور ہے۔ مقابلہ کرنے
میں ہماری کامیابی کا راز مضمر ہے۔
ایم ۔ اسلم خاں ناظم تعلیمات

प्रधानाचार्य की क़लम से

जीवन में सफलता प्राप्त करना प्रत्येक व्यक्ति की इच्छा होती है, परन्तु सफलता कोई ऐसी वस्तु नहीं है जिसे आसानी से अथवा कुछ चन्द रूपये खर्च करके प्राप्त की जा सके। सफलता प्राप्त करने के लिए घोर प्रयत्न कर अपने कार्य को अधिक रूचि व लगन के साथ करना पड़ता है तथा अपने कार्य में दक्षता लाने के लिए कार्य में है निरन्तरता लाना परम आवश्यक है। यदि हम निरन्तर अभ्यास करते हु  अपने लक्ष्य से डिगे बिना मार्ग में आयी चुनौतियों व बाधाओं से संघर्ष व अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए कुशलतापूर्वक अपनी अदभुत प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए अपने कार्य को करते हैं तो हमें सफलता अवश्य प्राप्त होती है।

निरन्तर अभ्यास, कार्य के प्रति लगन व निष्ठा के फलस्वरूप हमारा विद्यालय विगत 14 वर्षो से विशेष सम्मान के साथ हाई स्कूल बोर्ड परीक्षा का परिणाम 100% ला रहा है तथा विगत वर्ष इण्टरमीडिएट बोर्ड परीक्षा का पहला परिणाम भी शत प्रतिशत रहा है। इस उपलब्धि हेतु अभिभावक एवं समस्त विद्यालय परिवार बधाई के पात्र हैं ।

“Do the best you can until you know better Then when you know better, do better.”

विद्यालय की पत्रिका ‘दरिचा ए सर सैयद ‘ में छपे विद्यार्थियों के लेख उनकी शैक्षिक क्षमता को परिलक्षित कर रहे हैं। पत्रिका का नवीनतम अंक इस आशा से प्रकाशित है कि यह विद्यार्थियों के सर्वागीण एवं बौधिक विकास में सहयोग प्रदान करेगा तथा विद्यार्थी अपने कार्य को पूर्ण निष्ठा से सम्पादित करते हुए नये ऊंचे कीर्तिमान स्थापित करने के लिए प्रयासरत रहेंगे |

राशिद अहमद
प्रधानाचार्य
सर सैयद मैमोरियल इण्टर कॉलेज सहारनपुर

From the Coordinator

Dear Students and Faculty Members,
It is with immense pleasure and pride that we present to you the latest edition of our school magazine “Dareecha- e-Sir Syed”, highlighting the enriching journey of the academic year 2023-2024. Within these pages, you will discover the vibrant tapestry of experiences, achievements, and growth that define our school community. Dareecha-e-Sir Syed is not just a magazine, it’s a platform for our school community to showcase their creativity, intellect, and talents. It serves as a reflection of the vibrant and diverse culture that defines our institution.

Established by the visionary Haji Mohammad Afzal Khan in the year 1983, Sir Syed Memorial Inter College stands as a beacon of excellence in education. Over the years, our institution has flourished, providing students with not just academic knowledge but also opportunities for holistic development. Moreover, our commitment to education extends beyond conventional boundaries, as evidenced by our playschool, catering to the developmental needs of our youngest learners. Furthermore, we are delighted to share that within the same premises, we have another branch named Sir Syed International School (English Medium), initiated by Mrs. Anjuman Afzal, Controller of Sir Syed Memorial inter college, in 2009, adding another dimension to our educational legacy.

The motto of Sir Syed Memorial Inter college is “Talabul- Ilmi fareedhatun ala qulli muslim” and of Sir Syed international school is “Knowledge itself is power”, which guides us in striving for excellence in education and we believe in nurturing not only academic proficiency but also moral and spiritual growth. Central to our mission is the integration of Islamic values into every aspect of our educational journey.

Our approach to education is grounded in the teachings of Islam, which emphasize the importance of knowledge, wisdom, and ethical conduct. Through various initiatives and programs, we aim to provide our students with a strong foundation in Islamic theology and values, ensuring that they understand and appreciate the principles of their faith.

Here are some ways in which we integrate Islamic values into our educational practices:

Islamic Studies Curriculum: We offer comprehensive Islamic Studies courses that cover various aspects of Islamic theology, history, ethics, and spirituality. These courses provide students with a deep understanding of their faith and its practical applications in their lives.

Daily Prayers and Reflections: Our school encourages regular prayers and reflections, providing students with opportunities to connect with their Creator and seek guidance in their daily lives. We believe that fostering a strong spiritual connection is essential for personal growth and fulfillment.

Character Development Programs: We prioritize character development through programs that emphasize honesty, integrity, empathy, and compassion-values that

are integral to Islamic teachings. Through workshops, seminars, and extracurricular activities, we strive to cultivate virtuous traits in our students.

Community Service and Outreach: Our school encourages students to actively engage in community service and outreach initiatives, inspired by the Islamic principles of charity, kindness, and social responsibility. By serving others, students learn the importance of giving back to society and making a positive impact on the world around them.

Dr. Mohammad Asim Khan
Coordinator M.TECH, Ph.D.

Integration of Islamic Ethics in Curriculum: We integrate Islamic ethics and values across various subjects, encouraging students to apply moral principles in their academic pursuits and everyday interactions. This interdisciplinary approach ensures that Islamic values permeate every aspect of our educational environment.

Our school boasts state-of-the-art facilities, including a swimming pool, basketball court, and well-equipped computer labs, fostering a conducive environment for learning and growth. With streams in science, commerce, and arts, and fully equipped labs, we ensure that each student receives a comprehensive and enriching education.

In the year 2024, we are proud to welcome the second batch of intermediate students, marking another milestone in our journey of educational excellence. Additionally, our school has established partnerships with the Board of Open Schooling and Skill Education, Sikkim, offering opportunities for open exams for class 10th and class 12th students, ensuring accessibility and inclusivity in education.

Dareecha-e-Sir Syed serves as a platform to celebrate our school’s achievements, showcase the talents of our students and faculty, and foster a sense of community and pride.

IRAM (Principal)
Sir Syed Montessori School

From the Principal

It is a matter of pride to write the massage for Dareech-e-sir syed the magazine of Sir Syed International school and Sir Syed Memorial Inter college. My heart fills with immense pleasure as i perceive progress being made at Sir syed School. Sir Syed Memorial Inter college has been upgrade with all streams (Science, commerce & Arts)
“Education is not just about the subjects that are learned and taught in school, it is a life- long practice that can be exciting if we hop on the train of experience and travel to every imaginable place on earth.

Our aim, importantly is to make education a fun-filled, enjoyable, learning and growing experience on the solid foundation of values. We believe it is important to create an environment where students look eagerly forward te come to school. We want them to have fond memories of their time spent with us, long after they have left the portals of the school.

So, My dear students…… “Have a pure soul, Be loving and have a caring heart, Have imaginations and creativity, With passion and integrity In pursuit of happiness. Believe that education is power and we will never stop learning with an endless quest for knowledge and nurturing curiosity….

I wish all my students all the best in life, may success be your companion at every turn and stage of life by the grace of Allah….

शिक्षा का सामाजिक स्तर​

किसी भी विद्यालय की पत्रिका (मैगज़ीन) उस विद्यालय का दर्पण होती है। उसी से विद्यालय सांस्कृतिक और शैक्षणिक गतिविधियों के साथ-साथ साहित्यिक रूचि का भी पता चलता है। स्कूल की पत्रिका (मैगजीन ) अभिव्यक्ति इस बात का प्रमाण है कि यहां विद्यार्थी के सर्वागींण विकास के लिए स्कूल प्रबंध परिवार प्रतिबद्ध है ।

समाज में सबसे बहुमूल्य चीज़ यदि कोई है तो वो है “ज्ञान”, मानव के मूलभूत अधिकारों में ज्ञान की प्राप्ति प्राथमिकता में होनी चाहिए। हर व्यक्ति का पहला सपना शिक्षित व्यक्ति बनने का होना चाहिए। शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जो हमें सफलता की ओर अग्रसर करता है। शिक्षा ही हमें संसार में हमें सर्वश्रेष्ठ बनाती है, सिर्फ किताबी ज्ञान ही शिक्षा नहीं होता, अपितु हमारा मानसिक विकास भी सफलता के लिए आवश्यक है।

शिक्षा का नहीं है कोई मोल, सभी समस्याओं का हल,
है जीवन की भाँति अनमोल, शिक्षा देगी एक बेहतर कल ।
सबसे पहले यह प्रश्न आता है, स्कूल का क्या महत्व है? बच्चों में क्या बदलाव लाता है स्कूल ?

जब कोई भी बच्चा स्कूल की ओर अपना पहला कदम बढ़ाता है तो उसे पता नहीं होता कि वो जीवन की सबसे अच्छी और महत्वपूर्ण जगह जा रहा है। किसी भी बच्चे का व्यक्तित्व निखारने और उसका भविष्य सवांरने में स्कूल की भूमिका सर्वाधिक होती है। सबसे महत्वपूर्ण बात है एक स्कूल का चुनाव करना। सर सैयद इण्टरनेशनल स्कूल व सर सैयद मैमोरियल इण्टर कॉलेज सहारनपुर के श्रेष्ठ स्कूल और कॉलेजों में से एक है। यहाँ पर बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ उनकी प्रतिभा कौशल को भी बढ़ावा दिया जाता है। सर सैयद इण्टरनेशनल स्कूल व सर सैयद मैमोरियल इण्टर कालेज बच्चों के लिए एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां विद्यार्थी निखर कर और योग्य बनकर बाहर आते हैं। यहाँ पर बच्चों की रूचि के मुताबिक सर सैयद वीक द्वैपते लमक ममाऋ का आयोजन किया जाता है। जहाँ विद्यार्थी की प्रतिभा और कौशल का बढ़ावा दिया जाता है। यदि देखा जाए कि एक बच्चे की शिक्षा, प्रतिभा, कौशल और व्यक्तित्व का सही और श्रेष्ठ विकास कहाँ किया जाए, तो सर सैयद स्कूल उनके लिए एक बेहतर और सर्वश्रेष्ठ प्लेटफॉर्म है।

मैं उन सब अभिभावकों से विद्यालय की वार्षिक पत्रिका ‘दरिचा-ए- सर सैयद’ के माध्यम से अनुरोध करना चाहूंगा की सर सैयद स्कूल आपके बच्चों के लिए एक श्रेष्ठ प्लेटफॉर्म साबित होगा। यह लेख लिखते हुए मुझे Dr. APJ Abdul Kalam द्वारा लिखी गयी कुछ पंक्तियाँ याद आती हैं- “असली शिक्षा एक इंसान की गरिमा को बढ़ा देती है, और उसके स्वाभिमान में वृद्धि करती है। यदि हर इंसान द्वार शिक्षा के वास्तविक अर्थ को समझ लिया जाता और उस शिक्षा को मानवीय गतिविधि के प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ाया जाता तो यह दुनिया रहने के लिए कहीं ज्यादा अच्छी जगह होती ।”

Untitled design (66)
मौहम्मद अहमद खाँ बर्सर/कम्प्यूटर इंस्ट्रक्टर
सर सैयद मैमोरियल इण्टर कालेज
सहारनपुर